हम आज आपको (Best Love Poetry in Hindi) हिंदी की प्यार भरी सबसे अच्छी कवितायेँ (best love poem in hindi) बताने वाले हैं। हिंदी कविताओं (poem in hindi) के साथ हम आपको प्यार भरी शायरी (best love shayari in hindi) भी बताने वाले हैं। कृपया आप इन कविताओं (love poem) और शायरी (love shayari) को पढ़ें और साथ ही शेयर भी करें।

Best Love Poetry in Hindi
- कुछ तो असर है ज़िन्दगी में तेरी दुआओं का,
कि ग़म बहुत है, आँखें भी नम है,
फिर भी जिए जा रहे हैं, धीरे धीरे ही सही पर दो घूँट पीए जा रहे हैं,
एक नीला सा आसमान है, कहने को तो सारा जहान है,
पर तेरे बिना सब मंजर बंजर सब रेगिस्तान है,
ये अहसास मेरे दिल का तेरे दिल से यूं ना जाएगा,
मेरी यादों का ज़र्रा ज़र्रा किस्सा मेरा तुझे सुनाएगा,
मेरी आँखों से गिरता हर एक आँसूं मेरी कहानी तुझे बताएगा,
कहने को तो ज़िन्दगी नदी की बहती एक धारा है,
किस्मत वाले हैं वो जिन्हें मिल जाए जो मिलना किनारा है,
मुक्कमल हो जाए तेरा साथ मेरे साथ में, शायद मेरे हाथ में वो लकीर ही नहीं, - भूलना चाहो तो भी याद हमारी आएगी
दिल की गहराई मे हमारी तस्वीर बस जाएगी
ढूढ़ने चले हो हमसे बेहतर दोस्त
तलाश हमसे शुरू होकर हम पे ही ख़त्म हो जाएगी. - सपनों की मंज़िल पास नहीं होती
ज़िंदगी हर पल उदास नहीं होती
ख़ुदा पे यकीन रखना मेरे दोस्त
कभी-कभी वो भी मिल जाता है जिसकी आस नहीं होती - हर शाम किसी के लिए सुहानी नही होती
हर प्यार के पीछे कोई कहानी नही होती
कुछ तो असर होता है दो आत्मा के मेल का
वरना गोरी राधा, सावले कान्हा की दीवानी न होती - थोडा मुश्किल है हमारा सुधर जाना…
हर शाम की तरह हम ढलते नहीं!
पढ़ सके कोई हमारे दिल की महरूम धड़कने…
इस कदर भी हम कभी मचलते नहीं!
है प्यार हमें भी किसी से बेइंतहा, बेधड़क…
नशे के आलम में भी हम कभी बहकते नहीं!
ना खौफ है हमें, ना शिकवा है किसी का…
इस दिल्लगी के सिवा हम किसी से डरते नहीं…
आरज़ू है हमारी, कोई करे मोहब्बत हमसे भी…
पर उस कदर भी हम किसी पे मरते नहीं! - क्यों कहू तुझसे की ना करूँगा मुहोब्बत अब किसी और से ,
कहने को वेसे भी अब क्या रहा,जो बात करूँगा किसी और से
वक्त दर वक्त, लम्हा दर लम्हा गुज़रे जो ज़िन्दगी…
तेरी तरह, तेरे जैसे कोई लगा ले मुझे गले, क्या खुद जा के कह सकूँगा किसी और से ?
जा कह भी दू वैसा, जैसा तू करती थी मेरे लिए…
पर जो प्यार भरी बाते मेरे लब पे थी तेरे लिये, क्या वो जा के कह सकूँगा किसी और से ?
ना कर उम्मीद मेरे रोने और हसने की तेरे जाने के बाद,
तेरी बेवफाई की बाते क्या अब कर सकूँगा किसी और से ?
में जानता हु तू अब भी प्यार करती हे मुझसे …
मेरे दिल की बाते क्या तेरे सिवा कह सकूँगा किसी और से ?
इंतजार हे उस वक्त का जब तू लौट आएगी…
तू लौट आएगी मेरी ज़िन्दगी मे फिर से क्या ये जा के कह सकूँगा किसी और से ? - जिस क्षण तुम मुझे स्वयं से अलग करो,
वह मेरे जीवन का अन्तिम क्षण हो।
न चाह रहे फिर कुछ पाने की,
मृत्यु पार भी सिर्फ तुम ही तुम हो।
विलग होकर तुमसे मिले अमरता,
हँसकर वह भी मुझे अस्वीकार हो।
या दे ईश्वर सारा जग मुझको तुम बिन,
कोई स्वार्थ कभी न तुमसे बढ़कर हो।
प्रेम में तुम पर मेरा सब न्योछावर,
तुम्हारी पीड़ा पहले मुझको हासिल हो।
कभी न तुम तक पहुंच सके कोई दुख,
बस तुम्हारी मुस्कान हो मेरा जीवन हो। - तुम्हारी याद आँखों से,
मोती बन गालों पर लुढ़क गयी।
थोड़ा फिर चली दो कदम,
लबों पर आकर ठहर गयी।
तुम्हारी नादान बातें,
निकली पिटारे से हर तरफ बिखर गयी।
जिन्हें सुनकर मैं कहती थी,
चुप रहो आज उन्ही से निखर गयी। - मेरे दिल की चाहत,
कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
मेरी ज़रूरत,
कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने तो मुझे कबका भुला दिया
मेरी आदत,
कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
तुमने न जाना कितना, तुमको प्यार किया
मेरी इबादत,
कल भी तुम थे और आज भी तुम हो
बेखबर बनते हो, खबर हो के भी
मेरी किस्मत,
कल भी तुम थे और आज भी तुम हो - रात तेरी यादों संग कट जाती है,
दिन मेरा संग तन्हायी के गुजर जाता है।
जब संभाले नहीं संभलता ये सफर,
तब तू आकर कहीं से आहट दे जाता है।
खिल जाती है तबस्सुम लबों पर,
मसर्रत से जब तेरा लम्स याद आ जाता है।
बिखरी साँसे महकने लगती है,
बंजर जमीं पर चाहत की जब तू बूँदे गिराता है।
बेजान मौसम के रूख बदलने लगते हैं,
जब पतझङ में सावन की बहारें लाता है। - पलकों को कभी हमने भिगोए ही नहीं
वो सोचते हैं की हम कभी रोये ही नहीं
वो पूछते हैं कि ख्वाबो में किसे देखते हो
और हम हैं की उनकी यादो में सोए ही नहीं - उस एक दिन जब बातें शुरू हुई तुमसे
लगा कुछ तो अलग सा है तुम में
लगा कुछ तो नया सा है तुम में
फिर रोज़ की बातें होती गयी
और यूं बिना सोचे पिघलती रही मैं उन में
यूं ही बिना समझे फिसलती रही उस रास्ते पे
हाँ पता था मुझको दोबारा उसी रास्ते जा रही हूँ जहाँ गम बहुत हैं
पर गम की क्या बिसात यहाँ तुम्हारा साथ बहुत है
उस दिन जब पहली मुलाकात हुई तुमसे
लगा जैसे मैं खुद को मिल गयी
मेरे अंदर की मुरझाई कली खिल गयी
फिर तुम्हारा मुझको छूना
चूमना मुझको गले लगा कर
कसम से मेरे अंदर कुछ तो कमाल कर गया
बहुत दिनों से शांत मेरे मन में सवाल कर गया
फिर मिलना हुआ और मिलते रहना हुआ
तुम्हारी बातें तुम्हारी आँखों से पढ़ना हुआ
तुझको ढूंढ कर तुझमें ही खोना हुआ
सच, ये एक प्यार सिर्फ तुमसे कई हज़ार बार हुआ
फिर हुआ कुछ बुरा
शायद उपरवाले की मर्ज़ी थी
तेरा मुझसे कई दफे रूठ जाना हुआ
मेरा तुझको हर दफे मनाना हुआ
और हर आंसू के बाद भी
दुआ में उठे हाथ
और झुकी नज़रों में तेरी खैरियत का आना हुआ - बीते हुए लम्हों का एहसास हो
नजरो से दूर … दिल के पास हो
सुनहरी शामो की मीठी सी याद हो
खुदा से मांगी हुई इक अनसुनी फ़रियाद हो
चेहरे की उदासी …धड़कन की आवाज़ हो
मेरी अधूरी मुहब्बत अधूरा ख्वाब हो
कैसे समझाऊँ तुम कितने ख़ास हो
बीते हुए लम्हो का एहसास हो…… - छुप -छुप कर प्यार नहीं होता !
साँसों से साँसों का यूँ तो
खुल कर व्यापार नहीं होता ,
यह भी सोलह आना सच है –
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
कंटक में पुष्प विहँसते हैं
संकट में वीर सँवरते हैं
खुशियों में अश्रु थिरकते हैं –
तिल भर प्रतिकार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है –
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
है अक्स वही मन दर्पण में
शामिल दिल की हर धड़कन में
दिल रैन उसी की तड़पन में –
मिलकर इज़हार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है –
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !
हर दिल में प्यार मोहब्बत हो
हर शह की यही इबादत हो
लहरों की मात्र इनायत हो –
पर दरिया पार नहीं होता !
यह भी सोलह आना सच है –
छुप- छुप कर प्यार नहीं होता !!
Love Poem in Hindi - तुम आओ तो
इस बार लौट कर मत जाना।
मन के बगीचे में हरियाली तुम्ही से
खिले फूलों को फिर से नहीं है मुरझाना।
तुम बिन हर एक क्षण है पतझड़
अकेले तुम बिन अब नहीं है एक पल बिताना।
तुम आओ तो
इस बार लौट कर मत जाना।
तुम बिन हाल एेसा जैसे पानी बिन मछली का
ठीक नहीं ऐसे अपनी प्रिये को तङ़पाना।
मेरे साँसों की नाजुक डोर बँधी तुमसे
अब कठिन है स्वयं को तुमसे दूर रख पाना।
तुम आओ तो
इस बार लौट कर मत जाना। - चलो हम भी मना लेते हैं !
एक क़तरा प्यार का आज!
नफरत भरे इस दौर में!
एक लिजलिजी सी चीज है प्यार!
सिर्फ भरोसे का व्यापार!
मुझे डर लगता है इस कदर!
महबूब तुझको लग जाये ना किसी की नज़र!
ये गुलाब से खिले हुए दिल!
कबूतर के जोड़ो से मिले हुए दिल!
किसी वीरान में फड़फड़ाते है!
एक हरे दरख्त के लिए तरस जाते है!
जमींन से आसमान तक देखता हूँ!
दिल के अरमान को फेंकता हूँ!
प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ता हूँ!
कई किताबो से लड़ता हूँ!
बारी में प्रेम का ठौर तलाशता हूँ!
हाट से प्यारा उपहार लाता हूँ!
प्यार का यह दिन!
बड़े प्यार से मनाता हूँ|! - सदिया गुजर गयी किसी को अपना बनाने में,
मगर एक पल भी न लगा उन्हें हमसे दूर जाने में…
लोगो की साजिशों का रंग उनपे ऐसा छाने लगा,
के उसके बाद तो हम उन्हें अपने दुश्मन नज़र आने लगे….
हम फिर भी हस्ते रहे उनके जुल्मों को सह कर भी,
धीरे धीरे उनके सितम सह कर हमें मजा आने लगा……..
जब थक गए हमारी रूह तक को तड़पा कर वों,
तब वो धीरे धीरे हमसे दूर जाने लगे……
ये गम तन्हाई दर्द और यादोँ के साये,
ये सब तोहफ़ा हमनें उनसें ही है पाए….
मेरी ग़लती सिर्फ़ इतनी सी थी के मैं वफ़ादार निकला,
जितने दिल से की उनकी मोहब्बत में उतना ही बड़ा गुन्हेगार निकला….
पढने के लिए बहूत बहूत धन्यवाद Best Love Poetry in Hindi with Shayari for Everyone
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