नवरात्रि के त्यौहार का माहौल है दोस्तों यह नवरात्रि बहुत ही विशेष है। और इस नवरात्रि पर सभी को माता की कृपा के लिए कुछ उपाय अवश्य ही करने चाहिए।
इस नवरात्रि का पूजा मुहूर्त का समय और किस तरह से आपको कलश की स्थापना करनी चाहिए। चैत्र नवरात्री कब शुरू हैं इसका महत्व। सही दिनांक क्या है।
हर नवरात्रि व्रत के लिए विशेष उपाय और आपको क्या-क्या सावधानियां इस नवरात्रि पर रखनी है। इस विषय पर आपको संपूर्ण जानकारी इस वीडियो में दी जाएगी। अतः आप इस लेख को अंत तक जरूर पढिये।

चैत्र नवरात्री का महत्व
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक प्रमुख धार्मिक उत्सव है जो हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। यह उत्सव देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के रूप में मनाया जाता है और इसे नवरात्रि के रूप में जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है जो शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री होती हैं। इन नौ रूपों की पूजा के दौरान देवी दुर्गा के सभी रूपों के गुणों और महत्व का महत्वपूर्ण संदर्भ होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से होता है। इस उत्सव के दौरान माता दुर्गा की पूजा से हम शक्ति और उर्जा की ऊर्जा को अनुभव करते हैं। यह हमारे जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा का संचार करता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व यह भी है कि इस उत्सव के दौरान माता दुर्गा की पूजा से हम अपने दिमाग को शुद्ध और स्थिर बनाते हैं और नकारात्मक ऊर्जा को हटाते हैं। इसके अलावा, यह उत्सव सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस उत्सव के दौरान लोग मिलकर खुशी और उल्लास का अनुभव करते हैं।
चैत्र नवरात्रि का महत्व भारतीय संस्कृति के लिए भी बहुत अधिक होता है। इस उत्सव के दौरान लोग भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों और परंपराओं का अनुभव करते हैं। इस उत्सव के दौरान लोग विभिन्न रंगों के कपड़ों में बदलते हैं, भोजन बनाते हैं, नृत्य और संगीत का आनंद लेते हैं।
इस उत्सव का समापन राम नवमी के दिन होता है जो भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। राम नवमी के दिन लोग भगवान राम की पूजा करते हैं और भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं।
समस्त इस उत्सव का महत्व हमारे जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का भाव उत्पन्न करता है। इस उत्सव के दौरान हम अपने जीवन को एक सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने का अवसर प्राप्त करते हैं। इस उत्सव के दौरान हम अपने आसपास के लोगों के साथ जुड़ सकते हैं और एक एक दूसरे के साथ अच्छी तरह से मिलकर अपनी खुशी का अनुभव कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि एक धार्मिक उत्सव होने के साथ-साथ एक सामाजिक उत्सव भी है जो लोगों को एक साथ आने और जुड़ने का मौका देता है। इस उत्सव के दौरान हम सभी को एक साथ मिलकर उत्साह, सहयोग, समर्थन और प्रेम का भाव उत्पन्न करना चाहिए।
इस उत्सव के दौरान हमें अपने आप में एक आदर्श व्यक्तित्व बनाने का मौका भी मिलता है। माता दुर्गा की पूजा के दौरान हम उनके स्वरूप के अनुसार एक स्थिर और उत्तम व्यक्तित्व के लिए प्रयास करते हैं।
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नवरात्री व्रत कब से शुरू हैं
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत बुधवार 22 मार्च 2023 से हो रही है, जिसका समापन 30 मार्च को होगा।
नवरात्रि के साथ ही 22 मार्च से हिंदू नववर्ष नव संवत्सर 2080 भी शुरू होगा। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है।
नवरात्री के पहले दिन के उपाय विशेष जो आपको करने चाहिए।
नवरात्री के पहले दिन को प्रतिष्ठा दिवस या घट स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है और घट स्थापना की जाती है। यह दिन उत्साह और आनंद के साथ मनाया जाता है।
घट स्थापना करें: नवरात्री के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। एक घट में मिश्रित नौ अनाज और एक सिक्का रखें। इसके बाद उसमें जल डालें और उसे स्थान पर रखें जहाँ समय-समय पर आप उसे पूजने जा सकते हैं।
मंदिर में जाएं: नवरात्री के पहले दिन मंदिर में जाकर मां शैलपुत्री की पूजा करें।
नौ अनाज का भोजन करें: नवरात्री के पहले दिन नौ अनाज का भोजन करना शुभ माना जाता है। इस दिन बासमती चावल, आटे की रोटी, मूंग दाल, चने की दाल, काले चने, सोयाबीन, सूजी, गेहूं का सूजी, बाजरे का आटा और सिंधी नमकीन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें: नवरात्री के पहले दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। यह पाठ मां दुर्गा की महिमा का गान करता है और उनकी कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है।
रंगों से खेलें: नवरात्री के पहले दिन रंगों से खेलना भी शुभ माना जाता है। इस दिन लाल, पीला और हरा रंग का उपयोग किया जा सकता है।
सुंदर वस्त्र पहनें: नवरात्री के पहले दिन आपको सुंदर वस्त्र पहनना चाहिए। लाल या पीले रंग की साड़ी धारण करना शुभ माना जाता है।
मां शैलपुत्री के चालीसा का पाठ करें: इस दिन मां शैलपुत्री के चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है। यह चालीसा मां शैलपुत्री की महिमा का वर्णन करता है और आपको उनकी कृपा को प्राप्त करने में मदद करता है।
नवरात्री के पहले दिन के उपाय किसी भी निश्चित धर्म या संप्रदाय से जुड़े नहीं होते हैं। इन उपायों को आप अपनी सुविधा और विश्वास के अनुसार अपना सकते हैं।
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नवरात्री के पहले व्रत के लिए कुछ सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए
व्रत शुरू करने से पहले एक डॉक्टर से सलाह लें: अगर आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको व्रत शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर आपको विशेष दिशा निर्देश देने में मदद करेंगे।
व्यंजनों की स्वच्छता का ध्यान रखें: नवरात्री में आपको शाकाहारी भोजन करना होगा। आपको अपने घर में बनाए गए व्यंजनों की स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिए। सभी सामग्री को धोकर धीमी आँच पर पकाएं और संभवतः सभी सामग्री को उबाल कर बनाए जाने वाले व्यंजन से दूर रहें।
अधिक तेल और मसाले वाले व्यंजनों से बचें: नवरात्री में आपको अधिक तेल और मसाले वाले व्यंजनों से बचना चाहिए। इससे आपके पेट में अधिक ऊब और गैस बनने की संभावना होती है। शाकाहारी व्यंजनों, फलों, सलाद और दूध जैसी आसान वस्तुओं का सेवन करें
स्नान करें: व्रत के दिनों में स्नान बहुत महत्वपूर्ण होता है। स्नान से आपके शरीर में तैयार होने वाली दूषितता कम होती है। इसलिए, व्रत के दिनों में सुबह स्नान करना चाहिए।
व्रत के दौरान भोजन की समय सीमा का ध्यान रखें: नवरात्री में व्रत के दौरान भोजन की समय सीमा का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। समय पर भोजन करने से आपके पेट में भोजन को पचाने के लिए प्राकृतिक तरीके से ज्यादा समय मिलता है।
उपवास के दौरान शाकाहारी भोजन करें: नवरात्री में व्रत रखने के दौरान शाकाहारी भोजन करना जरूरी होता है। आपको गेहूं, चावल, अनाज, दूध, दही, फल और सब्जियों जैसी स्वस्थ आहार लेना चाहिए।
अधिक पानी पिएं: व्रत के दौरान अधिक पानी पीना बहुत जरूरी होता है। इससे आपके शरीर में दूषित तत्वों का निकास होता है और शरीर के अनुकूल तापमान को बनाए रखता है।
अधिक विश्राम करें: व्रत के दौरान आपको अधिक विश्राम करना चाहिए। आपके शरीर को आराम की आवश्यकता होती है ताकि वह भोजन को पचा सके और शरीर में नए ऊर्जा के साथ भरा रहे। इसलिए, अधिक विश्राम करें और उपयुक्त समय पर सोएं।
शांति और ध्यान करें: नवरात्री में शांति और ध्यान करना बहुत जरूरी होता है। आप जैसे चाहें वैसे विचार बना सकते हैं और शांति की स्थिति में रह सकते हैं। ध्यान और ध्येय का संगम आपको ऊर्जा और शांति देता है।
अन्यों की सेवा करें: नवरात्री के दौरान अन्यों की सेवा करना बहुत अच्छा महसूस होता है। आप अपने घर के आसपास के गरीबों और बेसहारा लोगों की मदद कर सकते हैं। इससे आपकी आत्मा में शांति और समानता की भावना उत्पन्न होती है।
इन सावधानियों का ध्यान रखने से आप नवरात्री के पहले व्रत को सफल बना सकते हैं। व्रत रखने से आप अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध और स्वस्थ बनाकर नए ऊर्जा से भर सकते हैं।
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नवरात्री में हर दिन के लिए विशेष उपाय जो आपको करने चाहिए।
नवरात्री के दौरान हर दिन को अलग देवी के नाम से जोड़ा जाता है और हर दिन का विशेष महत्व होता है। नीचे दिए गए हैं नवरात्री के हर दिन के लिए कुछ विशेष उपाय जो आप अपना सकते हैं:
पहले दिन (का व्रत शैलपुत्री माता के लिए रखा जाता है): शुरूआत करने से पहले, घर की सफाई करें और माँ शैलपुत्री की पूजा करें। उसके बाद महाशक्ति की आराधना करें और उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करें।
दूसरा दिन (का व्रत ब्रह्मचारिणी माता के लिए रखा जाता है): इस दिन आप ब्रह्मचर्य व्रत ले सकते हैं यानी आपको अपने वचनों के प्रति वफादार रहना चाहिए। इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।
तीसरा दिन (का व्रत चंद्रघंटा माता के लिए रखा जाता है): इस दिन, साफ सुथरा रहें और सुबह को सबसे पहले माँ चंद्रघंटा की पूजा करें। इसके बाद, आप अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए जीत की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
चौथे दिन: नवरात्री के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। कुष्मांडा मां का उपासना उत्तम माना जाता है जो सकल समृद्धि का प्रतीक होता है। इस दिन कुष्मांडा मां की पूजा करने से समृद्धि और आरोग्य मिलता है।
पांचवे दिन: नवरात्री के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। उनके साथ लोग लोग बाल गणेश भी पूजते हैं। इस दिन अपने घर में धर्मिक गाने और भजन बजाने चाहिए जो अपने आसपास के सभी लोगों को प्रेरित करते हैं।
छठे दिन: नवरात्री के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। उन्होंने सृष्टि की रक्षा की थी। इस दिन पीली रंग के कपड़े पहनने चाहिए और पीली फूलों को मां कात्यायनी को अर्पित करना चाहिए।
सातवें दिन – सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन आपको दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्रों का जप करना चाहिए। यह मंत्र आपको शुभ फल और आशीर्वाद देते हैं।
आठवें दिन – आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन आपको सफ़ेद रंग की माला और वस्त्र पहनने चाहिए। इसके अलावा, श्री चंडी पाठ और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
नौवें दिन – नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इस दिन आपको सोने का कलश लेकर नौ बार पूजन करना चाहिए। इसके अलावा, दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्रों का जप करना चाहिए।
जय माता दी